HELLO

Sunday, December 2, 2018

जहाँ दरिया कहीं अपने किनारे छोड़ देता है, कोई उठता है और तूफाँ का रुख मोड़ देता है, मुझे मजबूर पा करके भी खौफ उसका नहीं जाता, कहीं भी हादसा गुज़रे वो मुझसे जोड़ देता है..

जहाँ दरिया कहीं अपने किनारे छोड़ देता है,
कोई उठता है और तूफाँ का रुख मोड़ देता है,
मुझे मजबूर पा करके भी खौफ उसका नहीं जाता,
कहीं भी हादसा गुज़रे वो मुझसे जोड़ देता है..

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