HELLO

Monday, December 10, 2018

मस्त नज़रों से देख लेना था, अगर तमन्ना थी आज़माने की, हम तो बेहोश यूं ही हो जाते, क्या ज़रुरत थी मुस्कुराने की..


मस्त नज़रों से देख लेना था,
अगर तमन्ना थी आज़माने की,
हम तो बेहोश यूं ही हो जाते,
क्या ज़रुरत थी मुस्कुराने की..

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